अब आगे:
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी ओर खींच लिया. उसने मुझे सवारी करने का इशारा किया. उसके कहने के अनुसार मैं उसके ऊपर आ गई और लिंग अपनी योनि में प्रवेश करा के अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी. मैं मस्ती से संभोग को आगे बढ़ाने लगी. मुझे बहुत आनन्द आ रहा था, मगर मुझसे कहीं ज्यादा आनन्द राजशेखर ले रहा था. क्योंकि मेहनत तो मुझे करनी पड़ रही थी, वो तो केवल मजे ले रहा था.

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